मेघालय में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू नहीं होगा

मेघालय में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू नहीं होगा

मेघालय के मुख्यमंत्री ने हाल ही में राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने से इंकार कर दिया है। उनका यह बयान राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताओं को देखते हुए बहुत महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मेघालय में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूह रहते हैं, और हर एक का अपना पारंपरिक कानून और रीति-रिवाज है। ऐसे में एक समान सिविल कोड लागू करना इन विविधताओं के खिलाफ हो सकता है। इस लेख में हम मुख्यमंत्री के इस फैसले के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पहलुओं पर चर्चा करेंगे, और देखेंगे कि इसका राज्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

मेघालय की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता

मेघालय, जिसे ‘पूर्वी ज्योति’ भी कहा जाता है, एक सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता से भरा राज्य है। यहाँ की जनसंख्या में विभिन्न धार्मिक और जातीय समूहों का मिश्रण है, जिनमें मुख्य रूप से खासी, जयंतिया और गारो जनजातियाँ शामिल हैं। ये जनजातियाँ अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान और रीति-रिवाजों के लिए जानी जाती हैं। इन समुदायों का पारंपरिक जीवनशैली, विवाह, परिवार, भूमि अधिकार, और न्याय व्यवस्था इनकी संस्कृति से जुड़ी हुई हैं।

इन समुदायों का मानना है कि उनका पारंपरिक कानून और रीति-रिवाज उनकी पहचान और स्वतंत्रता का हिस्सा हैं। जब भारतीय सरकार या अन्य राज्यों में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात की जाती है, तो ये जनजातीय समुदाय इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए खतरे के रूप में देखते हैं। वे महसूस करते हैं कि ऐसे बदलाव उनकी जीवनशैली को प्रभावित कर सकते हैं।

मेघालय यूनिफॉर्म सिविल कोड: यूनिफॉर्म सिविल कोड और मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) एक ऐसा कानूनी ढांचा है, जिसमें सभी नागरिकों के लिए समान व्यक्तिगत कानून होते हैं, चाहे उनका धर्म, जाति, या समुदाय कुछ भी हो। इसका उद्देश्य देशभर में समान नागरिक अधिकारों और कर्तव्यों का निर्माण करना है। भारतीय संविधान में समान नागरिक संहिता की बात की गई है, लेकिन इसे लागू करने का मुद्दा हमेशा विवादास्पद रहा है।

मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि मेघालय में UCC को लागू करना राज्य की विशिष्ट सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना के खिलाफ होगा। उनका यह भी मानना था कि राज्य के लोग अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के प्रति बहुत संवेदनशील हैं, और ऐसे बदलाव से समाज में असमंजस और विरोध उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार मेघालय की संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, और इस दिशा में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

UCC के विरोध के कारण: मेघालय यूनिफॉर्म सिविल कोड

मेघालय में UCC के विरोध के कई कारण हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है राज्य की जनजातीय पहचान और उनके पारंपरिक अधिकार। जैसे कि खासी, जयंतिया और गारो जनजातियाँ अपने पारंपरिक कानूनों के अनुसार अपने विवाह, संपत्ति और परिवार से संबंधित मामलों का समाधान करती हैं। यदि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाता है, तो इन परंपरागत कानूनों में बदलाव आ सकता है, जिससे इन समुदायों की पहचान पर सवाल उठ सकता है।

इसके अलावा, मेघालय में धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता भी है, और हर समुदाय की अपनी अलग पहचान है। UCC इन समुदायों की विशिष्टता को नजरअंदाज कर सकता है, जिससे सामाजिक असंतोष और विरोध उत्पन्न हो सकता है।

मुख्यमंत्री के बयान का प्रभाव

मुख्यमंत्री के इस बयान ने राज्य में विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समुदायों के बीच एक नई बहस शुरू कर दी है। कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के दृष्टिकोण का समर्थन किया है, यह मानते हुए कि यह राज्य की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। वे यह मानते हैं कि हर राज्य और समुदाय की विशेषताएँ होती हैं, और उन्हें संरक्षित रखा जाना चाहिए।

दूसरी ओर, कुछ लोग इस फैसले को पीछे हटने के रूप में देख रहे हैं। उनका कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का उद्देश्य सभी नागरिकों के बीच समानता और न्याय सुनिश्चित करना है, और यदि इसे लागू नहीं किया जाता है तो यह समानता के अधिकारों के खिलाफ हो सकता है।

भविष्य में क्या हो सकता है?

मेघालय में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने से संबंधित बहस भविष्य में और भी गंभीर हो सकती है। यह एक राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन सकता है, जिसमें विभिन्न पक्षों के विचार सामने आएंगे। मुख्यमंत्री का यह बयान राज्य की राजनीति में प्रभाव डाल सकता है और 2025 के विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है।

मेघालय यूनिफॉर्म सिविल कोड : यह भी हो सकता है कि अन्य राज्यों में भी इस मुद्दे पर विचार किया जाए, और कुछ राज्य इस तरह के कानूनों को लागू करने पर विचार कर सकते हैं, जबकि अन्य राज्य अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक विशेषताओं को बनाए रखने के लिए इसके खिलाफ खड़े हो सकते हैं।

निष्कर्ष

मेघालय के मुख्यमंत्री का बयान इस बात को दर्शाता है कि राज्य के नागरिक अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान को लेकर जागरूक हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दों पर विचार करते समय, राज्य सरकारों को स्थानीय समाज की विविधताओं और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। मेघालय का यह निर्णय न केवल राज्य की संस्कृति की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देशभर में सांस्कृतिक पहचान और विविधता के संरक्षण के लिए एक मजबूत संदेश भी देता है।

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