
फिल्म का नाम: गुंटूर कारम
निर्देशक: त्रिविक्रम सृणिवास
प्रमुख कलाकार गुंटूर कारम फिल्म के : महेश बाबू, त्रिविक्रम सृणिवास, श्रीलीला
भारतीय सिनेमा में नए रूपों और किस्सों की तलाश में हमें बार-बार नई फिल्में मिलती हैं, लेकिन क्या हर बार हर फिल्म आपको कुछ नया दिखा पा रही है? हाल ही में रिलीज हुई तेलुगु फिल्म “गुंटूर कारम” ने इस सवाल को उठाने का प्रयास किया है।
महेश बाबू का प्रयास और उसकी भूमिका:
महेश बाबू, जिन्हें उनके उत्कृष्ट अभिनय और कार्यों के लिए जाना जाता है, इस फिल्म में एक नए किरदार में नजर आते हैं। उनका प्रयास इस फिल्म को संजीवनी देता है, लेकिन उनकी भूमिका के साथ उसका समर्थन करना कठिन है। वे जो कुछ कर पा रहे हैं, वह भी एक बेहद सामान्य किरदार में हैं, जिससे उन्हें उनके प्रशंसकों को नया कुछ दिखने की उम्मीद थी।
त्रिविक्रम सृणिवास की कहानी:
त्रिविक्रम सृणिवास, जिन्होंने पहले भी कई बड़ी सफलताओं के साथ फिल्में निर्देशित की हैं, इस बार भी एक नई कहानी के साथ हमें मिल रहे हैं। लेकिन, दुखद है कि इस कहानी में कुछ नया नहीं है। फिल्म की कहानी में हर कदम पर आपको वही राजनीतिक और परिवारिक मामले मिलेंगे जो आपने पहले भी देखे हैं।
श्रीलीला की भूमिका:
श्रीलीला, जो इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका में है, को उसके अभिनय के लिए सराहा जा सकता है। उन्होंने अपने किरदार को जीवंत बनाया है और उनकी प्रदर्शनी से दर्शकों को कुछ सोचने को मिलता है। हालांकि, उन्हें फिल्म में अधिक स्क्रीन समय नहीं मिला है, जिससे उनकी कहानी अधूरी रह गई है।
निर्देशकीय दक्षता और चित्रण गुंटूर कारम फिल्म में :
त्रिविक्रम सृणिवास का निर्देशन सामान्य है, लेकिन उनकी कहानी में गहराई की कमी बनी रही है। दृश्य साजीवता और चित्रण में कोई खासी शानदारी नहीं है, जिससे फिल्म अधूरी लगती है।
समाप्ति और आकलन:
फिल्म का अंत में दर्शकों को यह ख्याल आता है कि वे किसी नए साहित्यिक यात्रा में नहीं बैठे हैं, बल्कि एक औसत फिल्म देख रहे हैं। महेश बाबू के प्रयासों का समर्थन किया जा सकता है, लेकिन त्रिविक्रम सृणिवास की निर्देशनीय क्षमता इसे एक सच्ची चमकीली फिल्म नहीं बना पा रही है।
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